विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक मंदी की संभावना के साथ कमी कर सकते हैं
अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों को नुकसान पहुंचाए बिना नीति निर्माताओं को महंगाई पर नियंत्रण रखना है
आर्थिक चक्र धीमा होने पर एसबीआई की इस रिपोर्ट के मुताबित इक्विटी और बॉन्ड के आपस में कम संबंधित होने की संभावना है।
नए प्रवेश करने वाले कारोबारियों की अपेक्षा पूंजी की ऊंची लागत की वजह से कम ऑपरेटिंग मार्जिन का फायदा स्थापित कंपनियों को मिलता है
2022 में आयी उतर - चढ़ाओ को देख कर लगा 2008 में आए वैश्विक वित्तीय संकट से वास्तव में यह बिल्कुल विपरीत स्थिति है
यह परिस्थिति तब दिखी जब सभी केंद्रीय बैंकों ने एक साथ दरों में कटौती की थी
7 दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 0.35% का इजाफा किया था
साथ ही भारतीय रिज़र्व बैंक का रेपो रेट 5.90% से बढ़कर 6.25% हो गया था
आपको बता दे तो 5.90% से बढ़कर 6.25% रेपो रेट भारतीय रिज़र्व बैंक का हो गया था
रिकवरी के लिए जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो RBI मनी फ्लो बढ़ाने के लिए रेपो रेट कम कर देता है